तमिल उबगार संद्य मन्दिर महू आपका स्वागत करता हैं |

तमिल उबगार संद्य मन्दिर महू (म.प्र.)

दक्षिण भारत के लोग दुनिया के कई देषो मे व हमारे देष के कई राज्यो मे वर्षो से अपना जीवन यापन करते हुए निवास कर रहे है।

तमिलनाडु के विभिन्न स्थानो से ब्रिटिष सैनिको के माध्यम से मध्यप्रदेष के कई जिलो में तमिल समाज के लोगो का आगमन हुआ । महू ब्रिटिष छावनी होने से कई तमिल परिवारो का महू में भी आगमन हुआ व तमिलियन परिवार यही निवास करने लगे। उन्ही में से स्वं. रंगस्वामी दास जिनका जन्म सन् 1910 को भल्लारी गांव में हुआ था उनका भी महू आगमन हुआ श्री रंगस्वामी दास भक्ति भाव व तमिल संस्कृति के अच्छे जानकार थे उस कारण वह धार्मिक पुजा पाठ व संस्कृति पर बहुत ध्यान देते रहे। सन् 1937 में महू तमिल समाज द्वारा महू मुक्तिधाम में राजा हरिषचन्द्र के मन्दिर की स्थापना की गई यह तमिल धार्मिक व संस्कृति के परिचय का बहुत बडा उदाहरण है।

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